**आसमान का साया** गांव के बाहर, एक पुरानी हवेली खंडहर बन चुकी थी। गांव वाले कहते थे कि वहां कुछ अजीब होता है। अंधेरी रातों में हवेली से रोशनी दिखती और किसी के चीखने की आवाजें सुनाई देतीं। रवि, एक निडर युवक, इन कहानियों को झूठ मानता था। एक रात उसने खुद सच्चाई जानने का फैसला किया। लालटेन लेकर वह हवेली की ओर बढ़ा। जैसे ही वह अंदर पहुंचा, वहां की हवा भारी और सर्द हो गई। दीवारों पर पुराने चित्र लटके थे, जिनकी आँखें जैसे उसे घूर रही थीं। रवि ने आगे बढ़ते हुए देखा कि फर्श पर खून के निशान थे। निशान एक कमरे की ओर जा रहे थे। उसने दरवाजे को धक्का दिया, और अंदर जो देखा वह उसे कांपने पर मजबूर कर गया। कमरे के बीचों-बीच एक औरत खड़ी थी, सफेद साड़ी में लिपटी हुई, बाल बिखरे हुए। उसकी आँखें खाली थीं, जैसे उनमें कोई आत्मा नहीं थी। "तुम यहां क्यों आए हो?" उसकी आवाज गूंज उठी। रवि पीछे हटने लगा, लेकिन दरवाजा अपने आप बंद हो गया। औरत की परछाईं दीवार पर लंबी होती गई, और वह परछाईं आसमान तक उठ गई। अचानक हवेली की दीवारें हिलने लगीं, और चीखों की आवाज चारों तरफ गूंजने लगी। रवि चीखते हुए बाहर भागा। जब उसने मुड़कर देखा, तो हवेली गायब हो चुकी थी। लेकिन उसकी लालटेन अब भी जल रही थी, और उसके हाथ पर जलती हुई उंगलियों के निशान थे। उस रात के बाद, रवि ने कभी उस हवेली का जिक्र नहीं किया। लेकिन गांव वाले कहते हैं कि हर अमावस्या की रात, वह लालटेन अब भी हवेली के खंडहर में जलती है। With Dream Machine AI

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