महर्षि एकलव्य ने विनम्रता से कहा, "हे देवराज, मुझे कोई वरदान नहीं चाहिए। मेरा एकमात्र उद्देश्य आत्मज्ञान प्राप्त करना है। यदि आप कृपा करना चाहते हैं, तो मुझे केवल इतना आशीर्वाद दें कि मेरी साधना कभी भंग न हो।" With Dream Machine AI

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