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गाँव के बीचों-बीच एक बनिया की दुकान थी, जहाँ वह तरह-तरह के सामान बेचा करता था। वह बहुत ही चतुर था और मुनाफा कमाने के नए-नए तरीके ढूंढता रहता था। गाँव में एक आलसी ग्राहक, रामू, भी था, जो हमेशा बिना मेहनत किए मुफ्त में कुछ न कुछ पाने की फिराक में रहता था। रामू की चालाकी एक दिन रामू दुकान पर आया और बोला, "बनियाजी, आज मेरी तबीयत बहुत खराब है। अगर आप मुझे थोड़ी चाय पिला दें तो बड़ा अच्छा होगा।" बनिया समझ गया कि यह मुफ्त की चाय पीने आया है। उसने मुस्कुराते हुए कहा, "अरे वाह, रामू भैया! तुम तो बहुत भाग्यशाली हो। आज हमारी दुकान पर एक ऑफर चल रहा है – अगर कोई ग्राहक पाँच रुपये की चीनी खरीदेगा, तो उसे एक कप चाय मुफ्त मिलेगी!" रामू थोड़ा सोच में पड़ गया, फिर बोला, "पाँच रुपये की चीनी तो ज्यादा हो जाएगी, बनियाजी। ऐसा कीजिए, एक चम्मच चीनी दे दीजिए, बाकी उधार लिख लीजिए, और चाय अभी दे दीजिए।" बनिया हँस पड़ा और बोला, "अरे रामू भैया! दुकान पर दूसरा ऑफर भी चल रहा है – अगर कोई उधार नहीं लेगा, तो उसे दो कप चाय मुफ्त मिलेगी!" रामू चक्कर में पड़ गया। उसने सोचा कि मुफ्त में चाय पीने का कोई तरीका नहीं बचा। वह सिर खुजलाते हुए बोला, "अच्छा बनियाजी, आज चाय रहने दीजिए। मैं घर जाकर खुद ही बना लूंगा।" बनिया हँसते हुए बोला, "शाबाश, रामू भैया! अब तो तुम्हारी सेहत भी ठीक हो जाएगी और आलस्य भी भाग जाएगा!" गाँव वाले यह सुनकर हँस-हँसकर लोटपोट हो गए, और रामू को अपनी गलती समझ आ गई। सीख: मुफ्तखोरी से अच्छा है मेहनत करना! With Dream Machine AI

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