# अकेली हवेली रात के दस बज चुके थे। दीपा को अपनी पुरानी हवेली की तरफ जाते हुए अजीब सी घबराहट हो रही थी। उसके माता-पिता की मृत्यु के बाद से वह पहली बार अकेले इस हवेली में आई थी। बरसात की रात थी। बिजली कड़क रही थी और तेज हवाएं चल रही थीं। पुराने लकड़ी के दरवाजे चरमरा रहे थे। दीपा ने कांपते हाथों से हवेली का मुख्य दरवाजा खोला। अंदर का माहौल और भी डरावना था। धूल से भरी हुई पुरानी तस्वीरें, टूटी हुई कुर्सियां, और कोनों में जाले - सब कुछ वैसा ही था जैसा वह छोड़कर गई थी। लेकिन आज कुछ अलग लग रहा था। अचानक उसे दूसरी मंजिल से किसी के चलने की आवाज सुनाई दी। धीमी-धीमी आवाज, जैसे कोई घसीटते हुए चल रहा हो। दीपा का दिल धड़कने लगा। वह जानती थी कि घर में वह अकेली थी। "कौन है वहां?" उसने कांपती आवाज में पूछा। कोई जवाब नहीं आया। फिर उसे एक बच्चे की हंसी सुनाई दी। वह हंसी धीरे-धीरे करीब आती जा रही थी। दीपा सीढ़ियों की तरफ देखने लगी। वहां एक छोटी लड़की खड़ी थी, सफेद कपड़ों में। उसके लंबे काले बाल उसके चेहरे को ढक रहे थे। "तुम कौन हो?" दीपा ने फिर पूछा। लड़की ने धीरे से अपना सिर ऊपर उठाया। दीपा की चीख निकल गई। लड़की का चेहरा नहीं था - सिर्फ एक खाली खोपड़ी थी जो उसकी तरफ घूर रही थी। दीपा भागने की कोशिश करने लगी, लेकिन उसके पैर जैसे जमीन से चिपक गए थे। वह हिल नहीं पा रही थी। लड़की धीरे-धीरे उसकी तरफ बढ़ने लगी, उसकी हंसी अब एक भयानक कहकहे में बदल चुकी थी। अचानक बिजली कड़की और सारी लाइटें चली गईं। जब दीपा ने अपनी मोबाइल की टॉर्च जलाई, तो लड़की गायब थी। लेकिन दीवार पर खून से लिखा था - "तुम भी हमारे साथ रहोगी..." दीपा को समझ में आ गया कि उसके माता-पिता की मौत कोई दुर्घटना नहीं थी। यह हवेली अपने सभी मालिकों को निगल जाती है। और अब उसकी बारी थी... वह भागने की कोशिश कर रही थी, लेकिन हर दरवाजा बंद हो चुका था। हवेली की दीवारें उस पर सिमटती जा रही थीं। उसकी चीखें रात की खामोशी में खो गईं... अगली सुबह, जब पड़ोसी हवेली की जांच करने आए, तो वहां कोई नहीं था। सिर्फ दीवार पर लिखा एक नया संदेश था - "अब हम सब साथ हैं..." मैंने एक डरावनी कहानी लिखी है जो एक पुरानी हवेली में घटित होती है। क्या आप चाहेंगे कि मैं इसमें कुछ और बदलाव करूं या कोई विशेष तत्व जोड़ूं? With Dream Machine AI