भगवान श्रीराम की कथा भगवान श्रीराम हिंदू धर्म के प्रमुख देवताओं में से एक हैं। वे विष्णु के सातवें अवतार माने जाते हैं और उनकी कथा का वर्णन महर्षि वाल्मीकि द्वारा रचित रामायण तथा संत तुलसीदास द्वारा रचित रामचरितमानस में मिलता है। श्रीराम की कथा न केवल धर्म और मर्यादा का प्रतीक है, बल्कि एक आदर्श पुत्र, भाई, पति और राजा के रूप में उनकी जीवनगाथा हमें प्रेरणा देती है। --- श्रीराम का जन्म अयोध्या के राजा दशरथ की तीन रानियाँ थीं—कौशल्या, कैकेयी और सुमित्रा। राजा दशरथ को संतान प्राप्ति की चिंता थी, इसलिए उन्होंने ऋषि वशिष्ठ के परामर्श पर पुत्रेष्टि यज्ञ कराया। यज्ञ के फलस्वरूप भगवान विष्णु ने चार रूपों में जन्म लिया— कौशल्या से श्रीराम कैकेयी से भरत सुमित्रा से लक्ष्मण और शत्रुघ्न भगवान राम सबसे बड़े पुत्र थे और वे परम मर्यादा पुरुषोत्तम कहलाए। --- श्रीराम और माता सीता का विवाह राम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न को ऋषि वशिष्ठ ने शिक्षा दी। जब श्रीराम और लक्ष्मण बड़े हुए, तब ऋषि विश्वामित्र उन्हें राक्षसों का वध करने के लिए वन में ले गए। वहां उन्होंने ताड़का और सुबाहु का वध किया और यज्ञ की रक्षा की। इसके बाद वे मिथिला पहुंचे, जहां राजा जनक ने अपनी पुत्री सीता के लिए स्वयंवर रखा था। इस स्वयंवर में शिवजी के धनुष को उठाकर प्रत्यंचा चढ़ाने की शर्त थी। अनेक राजाओं ने प्रयास किया लेकिन असफल रहे। भगवान श्रीराम ने बड़ी सहजता से धनुष तोड़ दिया और माता सीता ने उन्हें वरमाला पहना दी। --- राज्याभिषेक और वनवास अयोध्या लौटने पर राजा दशरथ ने श्रीराम को राजा बनाने का निर्णय किया, लेकिन कैकेयी की दासी मंथरा के षड्यंत्र से कैकेयी ने अपने दो वरदान मांग लिए— 1. भरत को राजा बनाया जाए। 2. राम को 14 वर्षों का वनवास दिया जाए। मर्यादा का पालन करते हुए श्रीराम वन को प्रस्थान कर गए। उनके साथ माता सीता और भाई लक्ष्मण भी चले गए। --- वनवास के दौरान घटनाएँ 1. शूर्पणखा प्रसंग – लंका के राजा रावण की बहन शूर्पणखा ने श्रीराम पर मोहित होकर विवाह प्रस्ताव दिया, जिसे उन्होंने अस्वीकार कर दिया। लक्ष्मण ने उसकी नाक काट दी। 2. रावण द्वारा सीता हरण – शूर्पणखा के अपमान का बदला लेने के लिए रावण ने मारीच के सहयोग से सीता माता का हरण कर लिया और उन्हें लंका ले गया। 3. हनुमान का लंका गमन – श्रीराम की सहायता के लिए सुग्रीव और हनुमान आए। हनुमानजी ने लंका जाकर सीता माता को खोजा और लंका में आग लगा दी। 4. लंका विजय और रावण वध – श्रीराम ने वानर सेना के साथ लंका पर चढ़ाई की और रावण का वध कर माता सीता को मुक्त कराया। --- श्रीराम का राज्याभिषेक लंका विजय के बाद श्रीराम माता सीता और लक्ष्मण के साथ अयोध्या लौटे। उनके लौटने के दिन को दीपावली के रूप में मनाया जाता है। अयोध्या लौटने पर उनका भव्य राज्याभिषेक हुआ और उन्होंने धर्म, सत्य और न्याय पर आधारित रामराज्य की स्थापना की। --- निष्कर्ष भगवान श्रीराम की कथा हमें सत्य, धैर्य, भक्ति, प्रेम और त्याग का पाठ सिखाती है। वे संपूर्ण मानवता के लिए प्रेरणास्रोत हैं और उनकी कथा युगों-युगों तक प्रासंगिक रहेगी। "जय श्रीराम!" With Dream Machine AI

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